77 साल की आजादी में अब आन्दोलन पर गोली नहीं चलेगी: किसान पार्टी – कलम के योद्धा

77 साल की आजादी में अब आन्दोलन पर गोली नहीं चलेगी: किसान पार्टी

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आगरा। वर्ष 2009 में मायावती शासन काल के दौरान आगरा से नोयडा तक उपजाऊ भूमि को बंजर दर्शाकर यमुना एक्सप्रेस वे औ.वि.प्रा. के माध्यम से किसानों कि बेश कीमती कृषि भूमी को जबरन जे.पी.ग्रुप की टाउनशिप योजना के लिए अध्रिग्रहीत कर लिया गया था। जेपी ग्रुप को नाजायज लाभ पहुँचाने के लिए 5 टाउनशिप के माध्यम से 2500 हेक्टेअर जमीन गरीब किसानों कि कृषि भूमि हड़पकर उनके साथ घोर अन्याय किया गया था।जिसका किसानों नें लगातार धरना प्रदर्शन कर घोर विरोध किया था।  उसी क्रम में टप्पल (अलीगढ़) बाजना (मथुरा) भट्टा पारसोल (नोएडा) तथा छलेसर (आगरा ) में किसानों ने अनिश्चित कालीन धरना दिया गया था। किसानों को डराने धमकाने के के बाद भी जब किसानों ने धरना समाप्त नहीं किया तो 14अगस्त 2010 को मायावती के इशारे पर बसपा के गुण्डों और पुलिस प्रसाशन ने निहत्थे, शांति पूर्वक धरना दे रहे प्रशांत जहानगढ़, मोहित कृपालपुर, धर्मेंद्र्र सियारोल किसानों और हवलदार विजेंद्र सिंह सादाबाद हाथरस को गोली की दम पर मौत कि नींद सुला दिया गया। उसी समय से किसान शहीदों की याद मै हर वर्ष 14 अगस्त को “किसान शहीद दिवस” मनाता आ रहें हैं। और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके सिंदान्तों पर चलने का संकल्प प्रकट करते हैं। आगरा का किसान छलेसर स्थित श्री कृष्ण वाटिका में 14 अगस्त 2023 को शाम 7.15 मिनट पर एकत्रित हुआ और मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दी।

श्रंद्वाँजली सभा में मनोज शर्मा किसान पार्टी ने कहा कि यह किसानों का दुर्भाग्य है कि जब भी किसान हक की बात करता है उसे लाठी-गोली और मुकदमे मिलते है। सरकार चुनने के बाद यूरिया, डाई, बिजली, पानी उचित मूल्य की बात भी करना मुश्किल हो जाता है, अपनी ही सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं होती हैं। भारत के किसी भी कौने में किसान आन्दोलन हो वहाँ की सरकार फूलों से स्वागत नहीं करती है।

किसान पार्टी का कहना है किसानों के आन्दोलन पर 77 साल की आजादी के बाद यह सुनिश्चित करने का समय आ चुका है आन्दोलन पर गोली नहीं चलेगी यही टप्पल के चारों किसानों को सच्ची श्रंद्वाँजली होगी।

मोमबत्ती श्रंद्वाँजली सभा में नरेन्द्र सिकरवार पूर्व प्रधान, अरविंद सिकरवार, हेमंत भारती, भूपेंद्र सिकरवार, पंकज सिकरवार आदि लोग उपस्थिति थे।

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