नई शिक्षा नीति में भी शिक्षा को संस्कार और रोजगार को तकनीकी से जोड़ा: योगेंद्र उपाध्याय
- हिंदी पखवाड़ा समारोह में ‘हिंदी का वैश्विक परिदृश्य’
- पुस्तक का लोकार्पण और शोधार्थियों को टैबलेट वितरित
आगरा। कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में आज हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत हिंदी प्रतियोगिताओं के पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ‘हिंदी का वैश्विक परिदृश्य’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं के अंतर्गत शोधार्थियों को टैबलेट भी वितरित किए गए।
विद्यापीठ के निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीधर ने अतिथियों का स्वागत किया और बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिंदी के प्रति रुचि जाग्रत करना ही इन प्रतियोगिताओं का मुख्य उद्देश्य है। समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंग्रेजी हमें गुलामी की याद दिलाती है, जबकि हिंदी हमारी पहचान है। नई शिक्षा नीति में भी शिक्षा को संस्कार, रोजगार और तकनीकी से जोड़ा गया है। हम हिंदुस्तानी हैं और हिंदी को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देंगे।
विशिष्ट अतिथि प्रो. पूरनचंद टंडन ने हिंदी के प्रति संवेदनशीलता और गर्व करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हम हिंदी की बात तो करते हैं, लेकिन उसे अपनाने में हिचकिचाते हैं। अगर हमें अद्यतन और आधुनिक ज्ञान से जुड़ना है, तो हिंदी में बात करनी होगी।डॉ. रामशंकर कठेरिया ने हिंदी की वैश्विक पहचान पर जोर देते हुए कहा कि बाजारवाद के इस युग में हिंदी पूरी दुनिया की बिंदी बन गई है। विदेश में रहने वाले 2 करोड़ लोग गर्व से हिंदी बोलते हैं।
कुलपति डॉ. आशुरानी का भाषण समारोह की अध्यक्षता कर रहीं डॉ. आशुरानी ने हिंदी पखवाड़ा की सराहना करते हुए कहा कि के. एम. आई. एक विशिष्ट संस्थान है, जो हिंदी के साथ-साथ कई अन्य कोर्स भी संचालित करता है। नई शिक्षा नीति शिक्षकों को तकनीकी, कौशल, संस्कार और राष्ट्रीयता से जोड़ने का प्रयास कर रही है।
कार्यक्रम का समन्वयन पल्लवी आर्य ने किया और अंत में सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम में विद्यापीठ के शिक्षक डॉ. अमित कुमार सिंह, डॉ. प्रदीप वर्मा, डॉ. मोहिनी दयाल, डॉ. वर्षारानी, डॉ. संदीप शर्मा, और डॉ. चारू आदि उपस्थित रहे।