एत्मादपुर में सभासदों की जुगलबंदी, जिलाधिकारी से भ्रष्टाचार की शिकायत, डेढ़ साल में नहीं हुआ कोई विकास कार्य, लगाए भ्रष्टाचार के आरोप, एमआरएफ प्लांट में करोड़ रूपयों का घोटाला

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एत्माादपुर (आगरा)। एत्मादपुर नगर पालिका में अध्यक्ष और सभासदों की जुगलबंदी खुलकर सामने आ गई है। दर्जनभर से अधिक सभासदों ने जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी से नगर पालिका में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत की है। उन्होंने नगर पालिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि पालिका में अधिकारी कर्मचारी और अध्यक्ष मनमानी करने पर उतारू हो गए हैं।
सभासद राजकपूर मौर्य, मिथलेश देवी, गुड़िया रानी, आकाश, ममता देवी, नीतू देवी, राजदीपक गुप्ता, श्रेयांश जैन, सावित्री देवी, मुजीम, धर्मेन्द्र कुमार, शारदा देवी, अमित राठौर, रजत सौनी इत्यादि सभासदों ने 10 सूत्रीय शिकायती पत्र में उन्होंने कहा कि नगर पालिका में भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ गया है कि किसी भी सभासद को लेखा-जोखा व आय व्यय संबंधी हिसाब नहीं दिया गया। आउटसोर्सिगं में लगाए कार्मिकों को भर्ती किया गया है। वह भी काम नहीं कर रहे हैं। जो शासन के आदेशानुसार अनुचित है। जिन्हें अन्य कोई फर्म भुगतान कर रही है। नगर पालिका ने करीब 6 करोड़ रूपये की लागत से गांव रनपई के पास कूड़ा-कचड़ा निस्तारण को लगाया एमआरएफ प्लांट करीब डेढ़ बर्ष से बंद पड़ा है।
इसके एवज में गली-मौहल्लों से लाया गया कूड़ा नगर के ही सड़क किनारे विभिन्न स्थानों पर डंप किया जा रहा है। जो नगर की छवि खराब कर रहा है। इसके साथ ही यह प्लांट महज 15 दिन ही चल सका है। जिस फर्म का एमआरएफ प्लांट चलाने को टेंडर किया गया है, वही फर्म इस प्लांट को तीन बर्षों तक संचालित करेगी। लेकिन बावजूद इसके पालिका प्रशासन तीन लाख रूपये प्रतिमाह अवैध तरीके से भुगतान कर रहा है। इसी प्लांट के बराबर से अस्थाई गौशाला का स्थापित की गई है। जिसमें गौवंशों के लिए छाया, पानी और हरा चारा इत्यादि कोई व्यवस्था नहीं की गई है। गौशाला के अंदर तमाम गौवंश उपचार के अभाव में दम तोड़ चुकें हैं।
उसके बाद भी पालिका विभिन्न अवैध तरीके अपनाकर समय-समय पर भुगतान निकाल रही है। उन्होंने कहा कि पुरानी तहसील रोड़ स्थित नगर पालिका ने बिक्री के लिए बची चार दुकानों की नीलामी के लिए पिछले माह 3 सितंबर को प्रेस विज्ञप्ति अखवार में प्रकाशित की गई थी, जिसकी नीलामी तिथि 7 सितंबर को सुबह 11 बजे होनी थी। आरोप है कि पालिका प्रशासन और चैयरमैन की मिलीभगत से चहेतों के लिए बोली की जमानत राशि जमा नहीं कराई गई। नीलामी की प्रकिया मजिस्टेट की निगरानी में कराई जानी चाहिए थी। इसके साथ नगर में नाली-खरंजे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। शिकायत के बाद भी नगर में कोई भी विकास कार्य नहीं कराया है।